Why Stock gets Delisted ? How to protect yourself.

Nitesh


गिरता स्टॉक चार्ट, 'DELISTED' स्टैम्प, और परेशान निवेशक


अगर आप शेयर बाजार में दिलचस्पी रखते हैं, तो आपने कभी न कभी सुना होगा कि "XYZ कंपनी डीलिस्ट हो रही है!" लेकिन ये डीलिस्टिंग होती क्यों है? क्या ये कंपनी के लिए बुरा संकेत है? और इसका असर निवेशकों पर क्या पड़ता है?

आज मैं आपको आसान और सीधे शब्दों में समझाने वाला हूँ कि शेयर मार्केट से कोई स्टॉक डीलिस्ट क्यों होता है और इससे बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए। अगर आप शेयर बाजार में नए हैं तो भी ये जानकारी आपके बहुत काम आएगी!

डीलिस्टिंग का मतलब क्या होता है?

सीधे शब्दों में कहें तो जब किसी कंपनी का शेयर स्टॉक एक्सचेंज (NSE, BSE) से हट जाता है, तो उसे डीलिस्टिंग कहते हैं। यानी अब उस कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग एक्सचेंज पर नहीं होगी।

स्टॉक्स डीलिस्ट क्यों होते हैं?

1.कंपनी का बिजनेस खराब हो गया (Loss-Making Companies)

अगर कोई कंपनी लगातार घाटे में जा रही है, तो एक्सचेंज उसे बाहर निकाल सकता है।

  • जैसे कोई कंपनी पहले मुनाफे में थी, लेकिन धीरे-धीरे कर्ज़ बढ़ गया और उसे चुका नहीं पाई।
  • सेल्स गिरने लगी, नए इन्वेस्टर्स नहीं आए, और कंपनी बंद होने की कगार पर पहुंच गई।

उदाहरण: कुछ साल पहले Kingfisher Airlines का शेयर मार्केट से डीलिस्ट हुआ क्योंकि कंपनी दिवालिया हो गई थी।

2. कंपनी के प्रमोटर खुद डीलिस्ट कराना चाहते हैं (Voluntary Delisting)

कई बार कंपनी के मालिक (Promoters) खुद ही अपने शेयर को एक्सचेंज से हटाने का फैसला लेते हैं।

  • ऐसा तब होता है जब प्रमोटर्स चाहते हैं कि कंपनी पूरी तरह से उनके कंट्रोल में रहे और वे बाहरी निवेशकों से बचें।
  • इसके लिए वे खुले बाजार से सारे शेयर वापस खरीदते हैं और फिर कंपनी को डीलिस्ट कराते हैं।

उदाहरण: 2020 में Vedanta Ltd. ने अपनी कंपनी को डीलिस्ट कराने की कोशिश की थी ताकि पूरा कंट्रोल प्रमोटर्स के पास आ जाए।

3. सेबी के नियमों का उल्लंघन (Regulatory Action)

अगर कोई कंपनी सेबी (SEBI) के नियमों का पालन नहीं करती, तो उसे एक्सचेंज से हटा दिया जाता है।

  • फ़र्ज़ कीजिए कि किसी कंपनी ने सही तरीके से अपनी फाइनेंशियल रिपोर्ट नहीं दी।
  • या उसने अपने शेयरधारकों को गुमराह किया और गलत जानकारी दी।

ऐसे में सेबी उसे सजा के तौर पर स्टॉक एक्सचेंज से हटा सकती है।
उदाहरण: अगर कोई कंपनी बार-बार अपने रिजल्ट्स नहीं देती या सेबी के आदेशों का पालन नहीं करती, तो वह डीलिस्ट हो सकती है।

4. किसी बड़ी कंपनी ने उसे खरीद लिया (Merger & Acquisition)

अगर कोई बड़ी कंपनी किसी छोटी कंपनी को खरीद लेती है और उसे अपनी ही कंपनी में मिला देती है, तो छोटी कंपनी का स्टॉक डीलिस्ट हो सकता है।

  • जैसे अगर Tata Motors, किसी छोटी ऑटोमोबाइल कंपनी को खरीद ले और उसे अपनी ही ब्रांडिंग में मिला दे, तो छोटी कंपनी के शेयर मार्केट से हट जाएंगे।
  • अब जो निवेशक पहले उस छोटी कंपनी में पैसा लगाए थे, उन्हें या तो नए शेयर मिलेंगे या उनका पैसा वापस किया जाएगा।

उदाहरण: HDFC Ltd. के HDFC Bank में मर्जर के बाद HDFC Ltd. का स्टॉक डीलिस्ट हो गया।

5. कंपनी पर बहुत ज्यादा कर्ज़ हो और वह दिवालिया हो जाए (Bankruptcy & Insolvency)

अगर कोई कंपनी बहुत ज्यादा कर्ज़ ले ले और उसे चुकाने में असफल रहे, तो बैंकruptcy (दिवालियापन) घोषित हो सकता है।

  • ऐसे में कोर्ट कंपनी की संपत्ति बेचकर कर्ज चुकाने का आदेश देता है।
  • लेकिन निवेशकों को पैसा नहीं मिलता क्योंकि कंपनी का कोई खरीदार नहीं होता।

उदाहरण: Jet Airways को बहुत कर्ज़ के कारण डीलिस्ट कर दिया गया था।

डीलिस्टिंग से निवेशकों पर क्या असर पड़ता है?

अब सवाल ये आता है कि अगर आपने किसी ऐसे स्टॉक में पैसा लगा रखा हो, जो डीलिस्ट हो रहा है, तो आपको क्या करना चाहिए?

1. शेयर बेचना होगा या पैसा डूब जाएगा?

  • अगर कंपनी स्वेच्छा से (Voluntary) डीलिस्ट हो रही है, तो प्रमोटर्स आपको एक फिक्स प्राइस पर आपके शेयर खरीदने का ऑफर देंगे।
  • लेकिन अगर कंपनी दिवालिया हो रही है या जबरदस्ती (Involuntary) डीलिस्ट हो रही है, तो आपका पैसा डूब सकता है।

2. क्या डीलिस्टेड शेयर बेचे जा सकते हैं?

  • जी हां! आप डीलिस्टेड शेयरों को ऑफलाइन बाजार (OTC Market) में बेच सकते हैं।
  • लेकिन इसमें लिक्विडिटी की समस्या होती है। यानी आपको तुरंत खरीदार नहीं मिलेगा और आपको कम कीमत पर शेयर बेचना पड़ सकता है।

3. क्या कंपनी दोबारा लिस्ट हो सकती है?

  • हां, लेकिन ऐसा कम ही होता है।
  • अगर कंपनी का बिजनेस फिर से अच्छा हो जाए और वह नए नियमों को पूरा करे, तो वह दोबारा लिस्ट हो सकती है।

कैसे बचें ऐसे स्टॉक्स से?

अगर आप चाहते हैं कि आपका पैसा डूबने से बच जाए, तो इन बातों का ध्यान रखें:
✅ हमेशा उन कंपनियों में निवेश करें जो अच्छी वित्तीय स्थिति में हों।
✅ ऐसी कंपनियों में निवेश करने से बचें जिन पर बहुत ज्यादा कर्ज़ हो।
✅ सेबी के नोटिस और एक्सचेंज की चेतावनियों पर नजर रखें।
डीलिस्टिंग की खबर आते ही जल्द फैसला लें और शेयर बेचने का ऑप्शन देखें।

निष्कर्ष (Final Thoughts)

डीलिस्टिंग हमेशा बुरी चीज नहीं होती। कुछ कंपनियां खुद को मजबूत करने के लिए ऐसा करती हैं, जबकि कुछ मजबूरी में हटाई जाती हैं।

अगर आप शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं, तो समाचारों पर नजर रखें, सही रिसर्च करें और तभी निवेश करें। वरना एक गलत फैसला आपको बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।

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